हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मरहूम आयतुल्लाह हाएरी शीराजी ने अपने एक संबोधन में तालिब-ए-उलूम दीनीया की आर्थिक स्थिति के विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि यदि एक छात्र के जीवन में हर चीज़ पूरी तरह से उपलब्ध हो, जैसे उचित भोजन, वस्त्र, आवास और अन्य सुविधाएँ, तो इससे उसकी शैक्षणिक और आध्यात्मिक शिक्षा प्रभावी ढंग से नहीं हो पाती।
उन्होंने इस विचार का जवाब भी दिया कि सुविधाओं की कमी से छात्र का ध्यान पढ़ाई से हट जाता है। उनके अनुसार, ऐसा व्यक्ति जिसकी हर ज़रूरत पूरी हो, उस बगीचे की तरह है जिसे नियमित रूप से सिंचाई की जाती है, लेकिन यदि एक बार पानी न मिले तो वह सूख जाता है।
जबकि वह छात्र जो भूख, तंगी और कठिनाइयों से गुज़रता है, वह रेगिस्तानी पेड़ की तरह बन जाता है जो सालों-साल बारिश के बिना भी स्थिर रहता है।
आयतुल्लाह हाएरी शीराज़ी ने आगे कहा कि जो धैर्य और सहनशीलता एक रेगिस्तानी पेड़ एक साल में सीखता है, वह एक समृद्ध बगीचा बीस दिन में भी नहीं सीख पाता। उनका कहना था कि तालिब-ए-इल्म का असली सार आराम में नहीं बल्कि धैर्य, सादगी और दृढ़ता में छिपा है।
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